Thursday, September 6, 2018

वास्तविक्ता और हमारा आज का एस सी/एस टी एक्ट (Reality and our today's SC/ST act)

     दोस्तों हम सब एस सी/एस टी एक्ट की सामान्य जानकारी से भलीभांति अवगत हैं।यह एक्ट कब लगाया गया?,क्यों लगाया गया?,उस समय इस एक्ट की क्या आवश्यकता थी?,उस समय इस एक्ट की क्या प्रासंगिकता थी? आदि प्रश्नों के पचड़े में न पड़ते हुए आज वर्तमान में इस एक्ट की प्रासंगिकता क्या है? या आज के समाज में इस एक्ट की वास्तविकता क्या है? पर चर्चा करते हैं।
     दोस्तों ये सच है कि जब एस सी/एस टी एक्ट लागू किया गया उस समय इस एक्ट की आवश्कता से हम पूर्णतया असहमत नही हो सकते हैं।परन्तु आज हमारे समाज में मानवीय सोंच का विकाश होने के कारण हालात बदल चुके हैं।आज हमारा मानवीय समाज किसी वर्ग विशेष द्वारा किसी वर्ग विशेष पर अत्याचार या शोषण बर्दास्त नही करता आज का हमारा मानव समाज धर्म,वर्ग विशेष के आधार पर आए गैप(दूरी) को कम या पर्णतया समाप्त करने की मानवीय सोंच से परिपूर्ण हो चुका है।परंतु एस सी/एस टी जैसे कुछ एक्ट हमारे उपर्युक्त मानवीय सोंच के आगे दीवार बन कर खड़े हैं और कुछ सामर्थवान सम्मानीय लोग दीवार गिराने की बजाय स्वार्थवश समय-समय पर उस दीवार को और मजबूती प्रदान करते चले आ रहे हैं।इस प्रकार किसी वर्ग विशेष के आधार पर वर्ग विशेष पर अत्याचार या शोषण की बात करना उचित नही होगा।
     वास्तविक्ता तो यह है कि सामर्थवान अपने से कमजोर पर हमेशा से अत्याचार या शोषण करते चला आ रहा है।आज के पूंजीवादी युग में हम अगर विचार करें तो वास्तविक्ता हमारे सामने आ जाती है।आज पूंजीपति सामर्थ और गरीब कमजोर है परिणाम स्वरूप आज हमारे समाज में अगर कहीं   व्यक्ति विशेष पर अत्याचार या शोषण हो रहा है तो हम सब विस्वाश के साथ कह सकते हैं कि वह विशेष कर अमीरों द्वारा गरीबों पर किया जाने वाला अत्याचारिक शोषण होता है।
     आज हम अगर वास्तव में सामाजिक विकाश के प्रति उत्सुक हैं तो हम इस वास्तविक्ता को अपनाएं, और अमीरों द्वारा गरीबों पर प्रचुर मात्रा में हो रहे अत्याचार या शोषण की रोकथाम के आवश्यक कदम उठाएं
     धन्यवाद



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