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Saturday, September 8, 2018

मानव जीवन की वास्तविकता और हमारा सामाजिक विकास (Reality of human life and our social development)

 
   दोस्तों आज वैज्ञानिक युग में नित्य नये आविष्कार हो रहे हैं।हम मंगल ग्रह पर कदम रखने जा रहे हैं।हमारा अंतरिक्ष में आशियाना बनाने का सपना हकीकत में बदलने जा रहा है।हमारा विज्ञान असम्भव को भी सम्भव बनाते हुये नित्य नये पायदान पार कर विकास के उच्चतम शिखर की ओर चढ़ते चला जा रहा है।हम सब खुश हैं कि हमारा विज्ञान हमारे जीवन को काफी हद तक आसान व समृद्ध बनाते जा रहा है।
     परंतु हम अगर मानव समाज के समग्र विकास की ओर चिंतन करते हैं तो हमारे सामने बहुत सारे प्रश्न आकर खड़े हो जाते हैं।दोस्तों हमारे समाज के विकास का मुख्य उद्देश्य सुख,समृद्धि,शान्ति व शकून प्राप्त करना होता है।हमारे समाज के वैज्ञानिक पहलू का विकास तो विकास के निरंतर प्रक्रिया के सिद्धान्त के तहत बराबर होता चला जा रहा है।और हम नित्य वैज्ञानिक विकास की सीढ़ियाँ चढ़ते चले जा रहे हैं।परंतु हमारे मानव समाज के मुख्य या दूसरे पहलू नैतिक पहलू का पतन उसी प्रकार निरन्तर होता चला जा रहा है।हम मानव समाज के नैतिक मूल्यों के पतन का इतिहास आज से पीछे मुड़ कर बराबर देख सकते हैं।जबकि हमारे समाज में नैतिक मूल्यों का विकास भी विकास के निरन्तर प्रक्रिया के सिद्धान्त के तहत बराबर होना चाहिये था।
     दोस्तों हमें वैज्ञानिक अविष्कारों को सामने देख कर,प्रयोग कर,समझ कर व महसूस कर बहुत खुशी होती है।हमें खुशी होती है कि हमारे वैज्ञानिक अविष्कारों नें हमारी सात समंदर की दूरी को कितना कम कर दिया है।पर क्या आज हम अपने सामाजिक व पारिवारिक रिश्तों की दूरियों को अहसास कर दुखी नही होते ? हम बहुत खुश होते हैं कि आज हम अपने समाज से कुछ एक बुराइयों,कुरीतियों को कम या समाप्त कर दिया है।परन्तु क्या हम यह देखकर दुखी नही होते कि आज हमारे मानव समाज में कितने प्रकार की कुरीतियाँ व बुराइयाँ नित्य जन्म लेतीं चली जा रही हैं ? 
     इस प्रकार दोस्तों हमारे समाज का पहला वैज्ञानिक पहलू की गाड़ी तो विकास के पथ पर आंगें बढ़ती जा रही है।परंतु दूसरे नैतिक पहलू की गाड़ी इसके विपरीत दिशा नैतिक मूल्यों के पतन की ओर जा रही है।
     इस प्रकार हमारा मानव समाज समृद्द तो होता जा रहा परन्तु नैतिक मूल्यों के अभाव में वास्तविक सुख,शांति व सकून से दूर होता जा रहा है।दोस्तों हमें वास्तविकता को समझकर मानव समाज के समग्र विकास के वैज्ञानिक व नैतिक दोनों पहलुओं की रेलगाड़ी को एक साथ विकास के पथ पर आंगें ले जाने की कोशिश करना चाहिये तभी हम सामाजिक विकास के मुख्य उद्देश्य सुख,समृद्दि, शांति व सकून को प्राप्त कर सकते हैं।
     धन्यवाद
     

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